किस-किस से डरूँ मैं, दुनिया वाले बोलो? वास्तव है औरत बन गया मगर क्या भेद है ? स्त्र किस-किस से डरूँ मैं, दुनिया वाले बोलो? वास्तव है औरत बन गया मगर क्या भे...
हर कोई अच्छा नहीं हो सकता है, लेकिन हर किसी में कोई न कोई बात अच्छी होती है। कभी भी हर कोई अच्छा नहीं हो सकता है, लेकिन हर किसी में कोई न कोई बात अच्छी होती है।...
यूं चुप रहना तुम्हारा जुदा जुदा सा लगता है ये खामोशी तुम्हारी, खफा खफा सी लगती है। यूं चुप रहना तुम्हारा जुदा जुदा सा लगता है ये खामोशी तुम्हारी, खफा खफा सी लगत...
उसकी चाल समझ आती नहीं कहते हैं वह बुरा किसी का करता नहीं उसकी चाल समझ आती नहीं कहते हैं वह बुरा किसी का करता नहीं
जीवन टूट गये हैं उसके अनिश्चित स्नेह की प्रतीक्षा में। जीवन टूट गये हैं उसके अनिश्चित स्नेह की प्रतीक्षा में।
बस बहती हूँ न कोई आता है पहली की तरह आज। बस बहती हूँ न कोई आता है पहली की तरह आज।